मंगलवार, 13 जून 2023

✏️आँध्रप्रदेश का विभाजन और तेलंगाना का गठन[Division of Andhra Pradesh and formation of Telangana]:->

📖तेलंगाना मुद्दा:->

📋मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में तेलंगाना के पृथक राज्य बनने का आंदोलन ती हो गया। वर्ष 2004 के चुनावों से पूर्व, कांग्रेस ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के साथ गठबंधन किया और वचन दिया कि यदि वह सत्ता में आई तो वह आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना को एक पृथक राज्य बनाएगी। 2009 के चुनावों में आंध्र प्रदेश में कांग्रेस ने बेहद अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन इस जीत को दिलाने वाले वाई.एस.आर. रेही, जो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे ने राज्य के विभाजन का पूर्ण विरोध किया इन परिस्थितियों में केंद्र में सत्तासीन कांग्रेस सरकार तेलंगाना राज्य बनाने के अपने वादे से पीछे हट गई। इसके साथ ही सरकार ने अपने एक अन्य वादे की भी उपेक्षा की कि कुछ बड़े राज्यों को विभाजित करने के लिए एक नई राज्य पुनर्गठन समिति का निर्माण किया जाएगा। ऐसा इसलिए किया गया कि लेफ्ट, जिनके समर्थन के बिना सरकार अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाती; ने इस विचार का पुरजोर विरोध किया।
📋वाई.एस.आर. रेड्डी एक हवाई दुर्घटना में मारे गए और तेलंगाना के लिए विरोध-प्रदर्शन को एक नया जीवन प्राप्त हुआ तथा इसकी कमान के. चंद्रशेखर राव (के.सी.आर.) ने संभाली। नवम्बर 2009 में, तेलंगाना को अलग राज्य बनाने को लेकर के. चंद्रशेखर राव आमरण अनशन पर बैठ गए। इसके समर्थन के लिए के.सी.आर. के हजारों समर्थक इकडे हो गए, जिस कारण हैदराबाद का जन-जीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। केंद्र सरकार ने दिसंबर 2009 में घोषणा की कि राज्य निर्माण की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। इस निर्णय ने तटीय आंध्र प्रदेश के कांग्रेस सांसदों में अत्यधिक रोष उत्पन्न किया, लेकिन अंत में इसे स्वीकार कर लिया गया। 

📋पृथक राज्य के मामले पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी. एन. कृष्णा की अध्यक्षता में एक आयोग की नियुक्ति की। आयोग ने दिसंबर 2010 में अपनी रिपोर्ट सौंपी लेकिन टी. आर. एस. ने इसे अस्वीकृत कर दिया। काफी बातचीत के बाद, संसद ने फरवरी 2014 में तेलंगाना विधेयक पारित कर दिया। अधिनियम के अनुसार, आंध्र प्रदेश का नया तेलंगाना राज्य बनाने के लिए औपचारिक रूप से विभाजन किया गया। दोनों राज्य हैदराबाद को दस वर्ष तक राजधानी के रूप में साझा करेंगे, जिसके पश्चात् आंध्र प्रदेश की पृथक् राजधानी होगी, और केंद्र सरकार ने इसके निर्माण के लिए आंध्र प्रदेश (सीमांध्र भी कहा गया) को फंड प्रदान किया। [ केंद्र में नई सरकार के सत्तासीन होने के बाद, जून 2014 में वास्तविक रूप से तेलंगाना अस्तित्व में आया और के.सी. आर. वहां के प्रथम मुख्यमंत्री बने ।]

📋संयोगवश, मई 2011 राज्य सरकार के स्तर पर एक ऐतिहासिक बदलाव हुआ। पश्चिम बंगाल, जहां वाम पक्ष (लेफ्ट फ्रंट) 1977 से निरंतर शासन कर रहा था; ने निष्ठा परिवर्तन का निर्णय लिया और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को सत्ता सौंप दी। ममता बनर्जी, जो एक समय कांग्रेस में थीं और बाद में पार्टी छोड़कर टीएमसी का गठन किया, राज्य की नई मुख्यमंत्री बनीं।

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