मंगलवार, 27 जून 2023

बारदोली सत्याग्रह आंदोलन :-वल्लभभाई पटेल को आंदोलन की महिलाओं ने सरदार की उपाधि से विभूषित किया। .....{Bardoli Satyagraha Movement :- Political activity in Bardoli taluka of Surat district of Gujarat.....}

बारदोली सत्याग्रह आंदोलन:-

भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर गांधीजी के पदार्पण के पश्चात गुजरात के सूरत जिले के बारदोली तालुके में राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आयी। यहां परिस्थितियां उस समय तनावपूर्ण हो गयीं, जब जनवरी 1926 में स्थानीय प्रशासन ने भू-राजस्व की दरों में 30 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की। यहां के कांग्रेसी नेताओं के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने इस वृद्धि का तीव्र विरोध किया। परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने समस्या के समाधान हेतु 'बारदोली जांच आयोग का गठन किया। आयोग ने संस्तुति दी कि भू-राजस्व की दरों में की गयी वृद्धि अन्यायपूर्ण एवं अनुचित है। फरवरी 1926 में, वल्लभभाई पटेल को आंदोलन की महिलाओं ने सरदार की उपाधि से विभूषित किया।



सरदार पटेल के नेतृत्व में किसानों ने बढ़ी हुई दरों पर भू-राजस्व अदा करने से इंकार कर दिया तथा सरकार के सम्मुख यह मांग रखी कि जब तक सरकार समस्या के समाधान हेतु किसी स्वतंत्र आयोग का गठन नहीं करती या प्रस्तावित लगान वृद्धिवापस नहीं लेती तब तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे। आंदोलन को संगठित करने के लिये सरदार पटेल ने पूरे तालुके में 13 छावनियों की स्थापना की। आंदोलनकारियों के समर्थन में जनमत का निर्माण करने के लिये बारदोली सत्याग्रह पत्रिका का प्रकाशन भी प्रारंभ किया गया। आंदोलन के तरीकों का पालन सुनिश्चित करने के लिये एक 'बौद्धिक संगठन' भी स्थापित किया गया। जिन लोगों ने आंदोलन का विरोध किया, उनका सामाजिक बहिष्कार किया गया। आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु भी अनेक कदम उठाये गये। के. एम. मुंशी तथा लालजी नारंजी ने आंदोलन के समर्थन में बंबई विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।



अगस्त 1928 तक पूरे क्षेत्र में आंदोलन पूर्णरूप से सक्रिय हो चुका था। आंदोलन के समर्थन में बंबई में रेलवे हड़ताल का आयोजन किया गया। पटेल की गिरफ्तारी की संभावना को देखते हुए 2 अगस्त 1928 को गांधीजी भी बारदोली पहुंच गये। सरकार अब आंदोलन को शांतिपूर्ण एवं सम्मानजनक ढंग से समाप्त किये जाने का प्रयास करने लगी। सरकार ने एक 'जांच समिति' गठित करना स्वीकार कर लिया। तदुपरांत गठित ब्लूमफील्ड और मैक्सवेल समिति ने भू-राजस्व में बढ़ोत्तरी को गलत बताया और बढ़ोत्तरी 30 प्रतिशत से घटाकर 6.03 प्रतिशत कर दी गयी। इस प्रकार बारदोली सत्याग्रह की सफल ऐतिहासिक परिणति हुई।

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