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बुधवार, 31 मई 2023
महात्मा गांधी ने पंडित नेहरू को अपना उत्तराधिकारी क्यों चुना!{Why did Gandhi choose Nehru as his political successor}
सहायक संधि :-(subsidiary alliance) :- start of British rule {ब्रिटिश शासन की शुरुआत}
सोमवार, 29 मई 2023
🔥Swami Vivekananda's thoughts about India{ भारत के बारे में स्वामी विवेकानंद के विचार}
स्वामी विवेकानंदः
इनका जन्म 1862 में हुआ। वे आध्यात्मिक जिज्ञासा के कारण रामकृष्ण के संपर्क में आये तथा उनके शिष्य बन गये। इन्होंने रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों को लोगों के बीच प्रचारित किया तथा इन्हें तत्कालीन भारतीय समाज के अनुरूप ज्यादा प्रासंगिक बनाने का प्रयास किया। वे नव-हिन्दूवाद के उपदेशक के रूप में उभरे। विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं एवं उपदेशों को प्रचारित करने के लिये 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। रामकृष्ण की शिक्षाओं, उपनिषद एवं गीता के दर्शन तथा बुद्ध एवं यीशु के उपदेशों को आधार बनाकर स्वामी विवेकानंद ने विश्व को मानव मूल्यों की शिक्षा दी। उन्होंने सामाजिक कर्म पर जोर दिया और कहा कि अगर ज्ञान के साथ जिस वास्तविक संसार में हम रहते हैं, उसमें कर्म न किया जाये तो ज्ञान निरर्थक है।
स्वामीविवेकानंद ने सर्वधर्म समभाव की घोषणा की और धार्मिक मामलों में हर प्रकार की भी संकीर्णता की निंदा की। 1898 में उन्होंने लिखा 'हमारी मात्रभूमि के लिये विश्व के दो महान धर्मों, हिन्दू एवं मुस्लिम की प्रणालियों का संगम ही एक मात्र आशा है। उन्होंने हिन्दू धर्म के पृथकतावादी सिद्धांत की आलोचना की तथा उसके 'मुझे मत दुओ के आदर्श को उसकी एक बड़ी भूल बताया। साधारण जनता के दुःख एवं कठिनाइयों से परिचित होने के लिये उन्होंने पूरे देश की यात्रा की तथा कहा "जिस एक मात्र ईश्वर पर में विश्वास करता हूँ... वह मेरा ईश्वर सब देशों का दुखी, पीड़ित और 'दरिद्रजन है'। उनके अनुसार, किसी भूखे को धार्मिक उपदेश देना, ईश्वर का अपमान करने जैसा है। उन्होंने देशवासियों से स्वतंत्रता, समानता एवं स्वतंत्र सोच धारण करने की अपील की।
,स्वामी विवेकानंद एक महान मानवतावादी व्यक्ति थे तथा उन्होंने रामकृष्ण मिशन के द्वारा मानवीय सहायता एवं सामाजिक कार्य को अपना सर्वप्रमुख उद्देश्य बनाया। मिशन ने सामाजिक एवं धार्मिक सुधार के अनेक कार्य किये। उन्होंने कर्मफल की सर्वोच्चता को प्रतिपादित करते हुए इसे ही सर्वश्रेष्ठ बताया। विवेकानंद ने जीव की सेवा की तुलना शिव की पूजा से की। उनके अनुसार जीवन स्वयं एक धर्म है। कर्म के द्वारा ही मानव का दैवीय अस्तित्व होता है। उन्होंने तत्कालीन तकनीक एवं आधुनिक विज्ञान का उपयोग मानवमात्र के कल्याण हेतु करने की महता प्रतिपादित की। विवेकानंद ने अपने मानवतावादी और कार्य सम्बंधी विचारों को व्यावहारिक रूप देने के लिये देश के विभिन्न भागों में रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखायें स्थापित की। इस मिशन ने लोगों के लिये स्कूल, पुस्तकालय, दयाखाने, अनाथालय इत्यादि की स्थापना की। विजन, विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं यया-बाद, सूखे एवं महामारी इत्यादि में भी लोगों की सहायता के लिये कार्य करता था। मिशन ने अंतर्राष्ट्रीय संगठन का स्वरूप धारण किया। मिशन एक हिन्दू धार्मिक संगठन था किंतु इसने अन्य को भी महान बताया। आर्य समाज के विपरीत, मिशन ने मूर्तिपूजा का समर्थन किया।
1 इसके अनुसार, मूर्तिपूजा, उपासना का उत्तम एवं सरल तरीका है। मूर्तिपूजा से आध्यात्मवाद का विकास बड़ी सरलता से किया जा सकता है। यह श्रेष्ठ है क्योंकि मूर्तिपूजा से कोई भी मनुष्य बहुत कम समय में ईश्वर की वंदना में निपुण हो सकता है। हिन्दू धर्म या वेदांत सर्वश्रेष्ठ है। इसकी सहायता से हिन्दू सच्चा हिन्दू एवं क्रिश्चियन सच्या क्रिश्चियन बन सकता है।
स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो (अमेरिका) में सम्पन्न विश्व धर्म सम्मेलन में लोगों को यह बताने का प्रयास किया कि वेदांत केवल हिन्दुओं का ही नहीं अपितु सभी मनुष्यों का धर्म है। उन्होंने आध्यात्मवाद एवं भौतिकतावाद के संतुलन पर बल दिया। इस सम्मेलन में उन्होंने कहा कि यदि पश्चिम के भौतिकतावाद एवं पूर्व के आध्यात्मवाद का सम्मिश्रण कर दिया जाये तो यह मानव जाति की भलाई का सर्वोत्तम मार्ग होगा।
स्वामी विवेकानंद ने कभी लोगों को राजनीतिक संदेश नहीं दिया। उन्होंने देश की युवा पीढ़ी से अपील की कि वे भारत की प्राचीन सभ्यता पर गर्व करें तथा भविष्य में भारत की संस्कृति की मानव जाति के कल्याणार्थ समर्पित करें। वे भारत को एक जागृत एवं प्रगतिशील राष्ट्र बनाना चाहते थे वे जातिवाद, छुआछूत एवं विषमता को राष्ट्र के दुर्बल होने का महत्वपूर्ण कारक मानते थे उन्हें भारत की जनता की शक्ति में पूर्ण 1 आस्था थी। उनका विश्वास था कि एक दिन भारत का विकास होगा तथा देश से अशिक्षा एवं गरीबी पूरी तरह समाप्त हो जायेगी।
सोमवार, 22 मई 2023
glory of rajsthan.. maharana kumbha 🔥
मेवाड़ का राणा (1433-68)। मेवाड़ के सबसे महान शासकों में उसकी गणना की जाती है। उन्होंने मालवा व गुजरात के सुल्तानों की शक्तिशाली सेनाओं को मेवाड़ से दूर रखा। वह महान वास्तु-निर्माता थे । उन्होंने मेवाड़ की रक्षा के लिए स्थापित 84 दुर्गों में से 32 दुर्गा का निर्माण करवाया। इन बाद कुम्भा ने अपना दुर्गों में कुम्भलगढ़ सैनिक दृष्टि से सबसे अधिक उल्लेखनीय है। उसने विजयस्तम्भ का निर्माण कराया। वह केवल महान शासक तथा योद्धा ही नहीं .थे वरन् प्रतिभाशाली कवि, प्रकांड विद्वान, शासकों द्वारा प्रभुसत्ता व प्रसिद्ध संगीतज्ञ भी थे
रविवार, 21 मई 2023
👉Indian national Congress (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना.......)
गुरुवार, 18 मई 2023
When did the British era begin?
रविवार, 7 मई 2023
Mugal & rajput (maharana sanga)
प्रसिद्ध लोकदेवता रामदेवजी
बाबा रामदेव:- सम्पूर्ण राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में 'रामसा पीर', 'रुणीचा रा धणी' व '...
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पंजाब अशांति और ऑपरेशन ब्लू स्टार:- 👉अलगाववादी ताकतों के सिर उठाने के साथ पंजाब में राजनीतिक संकट अत्यधिक व्यापक हो गया था। वस्तुतः इस संकट...
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यूरोपीय व्यापार की संरचना और तरीके:- ✨ जब यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों ने भारत से व्यापार करना शुरू किया तो उनके सामने एक ही समस्या थी कि भारत...