पंजाब अशांति और ऑपरेशन ब्लू स्टार:-
👉अलगाववादी ताकतों के सिर उठाने के साथ पंजाब में राजनीतिक संकट अत्यधिक व्यापक हो गया था। वस्तुतः इस संकट में कई परतें थीं। पंजाब में अधिक स्वायतत्ता के लिए तीखी मांग हो रही थी। अधिकतर सिख अपने पृथक् धर्म के संदर्भ में स्वयं को देखने लगे थे कि एक सिख राजनीतिक दल (अकाली) बिना केंद्रीय हस्तक्षेप के मुक्त रूप से राज्य पर शासन नहीं कर सकते। उन्होंने लम्बे समय तक स्वयं के एक राज्य के लिए प्रतीक्षा की, लेकिन चंडीगढ़ अभी भी हरियाणा के साथ साझा करना पड़ रहा था। नदी जल के बंटवारे को लेकर भी समस्या थी। 1973 में, अकालियों ने आनंदपुर प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसमें एक स्तर पर अधिक स्वायतत्ता की मांग की गई और दूसरे स्तर पर 'सिख राष्ट्र' शब्द का प्रयोग किया गया, जिसने भारतीय संघ से अलग होने का अर्थ प्रस्तुत किया।
👉अकालियों ने निरंकारी सिखों का विरोध किया जिन्हें विरोधी मानते थे। इस संदर्भ में जरनैल सिंह भिंडरेवाला का उदय हुआ। एक पुजारी या संत तथा दमदमी टकसाल के मुखिया के तौर पर, उसने जोरदार तरीके से निरंकारियों के विरुद्ध योता। उसने यह भी कहा कि स्वतंत्र भारत में वे दास की तरह हैं और हिंदुओं तथा 'आधुनिक सिख' का उपहास किया। ऐसा कहा गया कि अकालियों के विरुद्ध भिंडरेवाला को स्वयं कांग्रेस ने खड़ा किया। यदि ऐसा हुआ था, तो वह बेकाबू दानव बन गया था, और जल्द ही उसने अपनी अलग छवि बना ली थी। उसके बड़ी संख्या में अनुगामी भी बन गए थे।
✨1980 में, अकालियों को एक बड़ा धक्का लगा जब वे सत्ता से बाहर हो गए और राज्य में कांग्रेस सत्ता में आ गई।
✨भारत से स्वतंत्र एक मुक्त राज्य बनाने के आवेग को मुख्यतः इंग्लैंड, अमेरिका और कनाडा में रह रहे सिखों ने हवा दी। जून 1980 में, अमृतसर में स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेम्पल) में विद्यार्थियों के एक समूह की बैठक हुई जिसमें उन्होंने स्वतंत्र गणराज्य खालिस्तान के निर्माण की घोषणा की। इसके अध्यक्ष लंदन से जगजीत सिंह चौहान थे।
✨मिडरेवाला द्वारा शक्ति हासिल करने के साथ-साथ पंजाब की स्थिति बद से होती जा रही थी और कई प्रसिद्ध व्यक्तियों की हत्या में उसके हाथ होने की शंका थी जिसमें निरंकारी नेता भी शामिल थे। सरकार उसे दण्डित करने में निष्प्रभावी हो गई थी।
✨भिंडरेवाला पर नकेल कसने के प्रयास के विरुद्ध, अकाली अत्यधिक उग्र हो गए दे। उनके विधायकों ने 1983 के गणतंत्र दिवस के मौके पर राज्य विधानसभा से सामूहिक रूप से त्यागपत्र दे दिया। इसने स्पष्ट किया कि भारत के संविधान के प्रति उनकी प्रतिवद्धता दृढ़ नहीं थी। इस बीच, भिंडरेवाला अपने भाषणों में हिंदुओं के विरुद्ध जहर उगलने लगा था और हिंदुओं को राज्य से बाहर करने के लिए सिखों को हिंसा करने के लिए उकसा रहा था। सिखों के उदय / उद्गम के प्रकाश में हिंदुओं और सिखों के बीच संघर्ष होना असंभव था, लेकिन अब यह होने लगा था। केंद्र सरकार ने शांति बनाए रखने के लिए भिंडरेवाला को तैयार करने के प्रयास हेतु नरसिम्हा राव के नेतृत्व में एक दल भेजा लेकिन वार्ता असफल हो गई और पंजाब में कानून-व्यवस्था निरंतर बदतर होती चली गई।
✨खालिस्तानी आतंकवादियों ने, ऐसा कहा गया कि उन्हें पाकिस्तान प्रोत्साहित कर रहा था, धीरे-धीरे पंजाब में घुसना शुरू कर दिया था और प्रमुख हिंदुओं और सिख पदाधिकारियों की हत्याएं की जाने लगीं थीं। अक्टूबर, 1983 में, एक बस को रोका गया और उसमें बैठे हिंदुओं को गोली मार दी गई। केंद्र ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। भिंडरेवाला बिना किसी रुकावट के अकाल तख्त, स्वर्ण मंदिर के निकट सिखों की कालिक सत्ता की सीट जो आध्यात्मिक अधिकारिता की सीट थी, तक पहुंच गया। 1984 के शुरू में, भिंडरेवाला और उसके सहयोगियों ने स्वर्ण मंदिर परिसर की किलेबंदी करनी शुरू कर दी और इसमें शस्त्र एवं गोला-बारूद और साथ ही खाने की वस्तुओं को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। यह सब शुवेग सिंह, भारतीय सेना में मेजर जनरल था और भारतीय सेना का बीर सिपाही रहा था जिसे बाद में बर्खास्त कर दिया
यह सब शुवेग सिंह, भारतीय सेना में मेजर जनरल था और भारतीय सेना का वीर सिपाही रहा था जिसे बाद में बर्खास्त कर दिया गया की देख-रेख में हो रहा था।
👉स्पष्ट हो चुका था कि कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इंदिरा गांधी ने सेना प्रमुख ए.एस. वैद्य की अनुशंसा पर ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू करने की अनुमति दे दी। 2 जून, 1984 की रात से 5 जून तक पंजाब राज्य में कर्फ्यू लगा दिया गया, संचार तथा परिवहन के सभी सायनों को निलम्बित कर दिया गया, और विद्युत आपूर्ति बंद कर दी गई। मीडिया को सख्ती से प्रतिबंधित कर दिया गया। 5 जून की रात को सेना ने मेजर जनरल के.एस. बरार की कमांड और जनरल के. सुंदरी के निर्देश के तहतु हरमंदिर साहिब पर सैन्य कार्यवाही की उग्रवादियों के पास अत्याधुनिक हथियार थे और उन्होंने काफी समय तक गोलीबारी की। अंत में 7 जून की सुबह तक सेना को हरमंदिर साहिब पर पूर्ण नियंत्रण से पूर्व अकाल तख्त के विरुद्ध टैंकों का प्रयोग करना पड़ा। मिडरेवाला और शुवेग सिंह मृत पाए गए। जबकि कई उग्रवादी मारे जा चुके थे, कई सैनिक और नागरिक भी इस घटना में मारे गए थे। परिणामः इस ऑपरेशन से विश्व के सभी सिख परेशान एवं व्यथित हो गए। कई सिखों ने भारतीय सेना छोड़ दी। यहां तक कि सिख सैनिकों के विद्रोह की भी बात सामने आई। लेकिन इससे राज्य में आतंकवाद का अंत हुआ और फिलहाल स्वर्ग
✨मंदिर (गोल्डन टेम्पल) परिसर से हथियार एवं गोला-बारूद हटाए जा सके थे। लेकिन प्रधानमंत्री की हत्या को भी ऑपरेशन ब्लू स्टार के परिणाम के रूप में देखा गया 31 अक्टूबर, 1984 की सुबह, जब इंदिरा गांधी अपने घर से कार्यालय जा रही थीं, तो उनके अंगरक्षकों-बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उन पर गोली चला दी। उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से जाया गया, लेकिन ये जीवित न बच सकीं। यद्यपि, सामान्य तौर पर पता चल चुका था कि इंदिरा गांधी मर चुकी थी, लेकिन ऑल इण्डिया रेडियो और दूरदर्शन ने इसकी आधिकारिक शाम को की
✨इंदिरा गांधी का युग समाप्त हो चुका था। उनके पुत्र राजीव गांधी को उसी शाम राष्ट्रपति जैल सिंह ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई, जैसाकि कांग्रेस नेताओं ने सर्वसम्मति से निर्णय किया था कि उन्हें यह पद संभालना चाहिए।